जिंदगी प्यार का गीत–९

जिंदगी प्यार का गीत


आशु की आंखों में घृणा के भाव झलक रहे थे, वहीं रोहन की आंखों से शोले बरस रहे थे, उसकी मुट्ठियां भिंची हुई थी। अगर अमृत या उसका पिता उसे सामने दिख जाते तो न जाने वो क्या कर जाता.....
कोई इंसान इतना नीच भी हो सकता है कि अपनी ही पत्नी को अपने ही पिता को....... सोच कर ही रूह कांप गई।
आशु एक बार उठ कर icu के दरवाजे तक गई और ये देख कर कि रिहान अभी भी बेसुध सोया पड़ा है उसे सुकून सा मिला।
वो वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गई और कंबल को उपर तक ले लिया, सर्दी अच्छी खासी थी। रोहन कंबल में बैठा उसे ही देख रहा था।
कुछ क्षण बाद उसने फिर से कहना शुरू किया
वहां से निकल कर मैं सीधा अपने घर आई, ये सोच कर कि भाई भाभी उसकी पीड़ा को समझेंगे, पर उसकी सोच गलत थी।
बहुत देर दरवाजा खटखटाने के बाद भाई निकल कर आया। उसने दरवाजे से ही सारी बात सुन कर लौटा दिया, ये कहकर की वो पुलिस कोर्ट कचहरी के चक्कर में नही पड़ना चाहता।
आशु को समझ नही आ रहा था आधी रात में वो नन्हे रिहान को लेकर कहां जाए।
फिर उसने हिम्मत करके वहीं पास रहने वाली अपनी एक ऑफिस की साथी का दरवाजा खटखटाया, बहुत देर बाद दरवाजा खुला, उसकी साथी ममता उसे देख कर हैरान हो गई। उसके पीछे पीछे उसका पति भी आ गया।
दोनो ने प्यार से आशु को घर के अंदर बुलाया, और पूरी बात सुनी। ममता ने उसे ढाढस बंधाते हुए कहा वो चिंता न करे और जब तक सब सही नही हो जाता उसी के पास रुके। उसके पति ने बताया कि वो एक ‘महिला मुक्ति वाहिनी’ नाम की संस्था को जानते हैं और वो लोग ऐसे लोगों की मदद करने को हमेशा तैयार रहते हैं।
उन्होंने अपने घर के उपर वाले कमरे में आशु और रिहान के रहने सोने की व्यवस्था भी कर दी।
अगली ही सुबह ममता और उसका पति उसे उस एनजीओ में लेकर गया, जहां उसकी मुलाकात एनजीओ की स्थानीय अध्यक्षा से हो गई। उन्ही की मदद से उन्होंने स्थानीय पुलिस में अमृत और अमृत के पिता मनोहर पर केस दर्ज करवा दिया, पुलिस ने महिला प्रताड़ना और बलात्कार की कोशिश के केस में दोनों बाप बेटे को हिरासत में ले लिया।
उसी एनजीओ की मदद से जल्दी ही आशु ने अमृत से तलाक के लिए भी अर्जी दाखिल कर दी।
आस पड़ोस के लोगों के बयान की मदद से दोनो ही केस आशु जीत भी गई। मनोहर को 5 साल और अमृत को 3 साल की सजा हो गई।
और अब मैं और रिहान अपनी दुनिया में खुश हैं, अब रिहान ही मेरा संसार है। इतना कह कर आशु चुप हो गई। रोहन उसे खामोश नजरों से देख रहा था, सोच रहा था कितना कुछ सहा उसने इन 5/6 सालों में।
उसका निश्चय अब और भी दृढ़ होता जा रहा था, उसे हर हाल में आशु और रिहान के चेहरों पे मुस्कान खिलानी ही होगी।
सुबह की लालिमा धीरे धीरे रात के अंधकार को काटने लगी थी। बाहर हल्की हल्की चहल पहल होने लगी थी और आसपास के पेड़ों पर चिड़ियां खुशीब्से चहचहाने लगी थी, एक नई सुबह मुस्कुराने लगी थी।


उपसंहार


पापा उठो, सूरज सर पे चढ़ आया है, देखो बादल भी आ रहे हैं लगता है आज फिर बारिश होगी, और आज स्कूल की भी छुट्टी है ना...... उठो ना ...... कहते हुए उसने कंबल रोहन के शरीर से अलग कर दिया।

रुक शैतान, अभी बताता हूं तुझ को....... कहता हुआ रोहन उसके पीछे भागा।
अरे अरे क्या करते हो....... आप भी ना बच्चे के साथ बच्चा बन जाते हो....... छोड़ो उसे.... जल्दी से नहा धो लो याद है ना आज सावन का पहला सोमवार है, पंडित जी आ रहे हैं पूजा के लिए।
रोहन ने मुस्कुरा कर आशु को अपनी बाहों में भर लिया..... अरे छोड़ो मुझे ....... देखो वो देख रही है .......
कौन..... कौन है यहां, कोई भी तो नही....….
अरे बाबा ये...... आपकी आने वाली बेटी....... आशु ने अपना बढ़ा हुआ पेट दिखाते हुए कहा........
हम्म् ये हमारी राजकुमारी.....… कैसी हो तुम ..... रोहन ने प्यार से आशु के पेट पर हाथ रख कर पूछा।
तभी गरज के साथ छींटे पड़ने लगे और पास ही रखे रेडियो में गाना बज उठा......
रिमझिम रिमझिम, भीगी भीगी रुत में
तुम हम हम तुम चलते है......
रोहन आशु को बाहों में लेकर मस्ती से डांस करने लगा।

एक नई शुरुआत

आभार
नवीन पहल – १७.१२.२०२१ ❤️🌹🌹🙏


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